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Pura Species of Uttarakhand - कोल, किरात, खस, भोटान्तिक या शौका प्रजाति

उत्तराखंड की पुरा प्रजातियाँ

आज हम इस लेख में आपको  Pura Species of Uttarakhand (कोल, किरात, खस, भोटान्तिक या शौका प्रजाति) आदि के बारे में जानकारी देंगे।

Pura Species of Uttarakhand


कोल प्रजाति

Pura Species of Uttarakhand


  • उत्तराखंड में आने वाली प्रथम प्रजाति कोल को माना जाता है।
  • कोल प्रजाति के लोग दिखने में कुरूप व भद्दे थे।
  • पुरा साहित्यिक ग्रंथों में कोल प्रजाति का वर्णन मुण्ड या शबर नाम से मिलता है।
  • कोल प्रजाति नाग पूजा के साथ - साथ लिंग पूजा भी करते थे।
  • कुमार - कुमारी प्रथा कोल प्रजाति में मिलती है, इस प्रथा में भोटान्तिक प्रभाव दिखाई देता है।
  • नेपाल में कोलीय गणतंत्र के शासन की जानकारी मिलती है।
  • शिवप्रसाद डबराल कोल या मुण्ड जाति को भारत या हिमालयी क्षेत्रों की प्राचीनतम जाति मानते है।

 

किरात प्रजाति

  • कोल के बाद उत्तराखंड में किरातों के आधिपत्य की जानकारी मिलती है इन्हें किन्नर या कीर भी कहा जाता है।
  • स्कन्द पुराण में किरातों को भिल्ल भी कहा गया है और इनकी भाषा या बोली मुण्डा एवं इनका मुख्य खाद्य सत्तू था।
  • किरात प्रजाति भ्रमणकारी पशु पालक व आखेटक जाति थी।
  • महाभारत के वन पर्व के अनुसार किरातों ने अपने नेता शिव के झण्डे के नीचे अर्जुन से युद्ध किया।
  • किरातों के साथ अर्जुन का यह युद्ध विल्लव केदार नामक स्थान में हुआ, जिसे शिवप्रयाग भी कहा जाता था। 
  • बाणभट्ट की कादम्बरी रचना में हिमालय क्षेत्र में किरातों के निवास की पुष्टि करती है।
  • कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में किरातों का वर्णन मिलता है।
  • वर्तमान में अस्कोट व डीडीहाट नामक स्थान में किरातों के वंशज रहते है।
  • जॉर्ज ग्रियर्सन किरातों को हिमालय क्षेत्र की प्राचीनतम जाति मानते है।

 

खस प्रजाति

Pura Species of Uttarakhand


  • किरातों के बाद उत्तराखंड में खस प्रजाति का उल्लेख मिलता है और खसों को 1885 ई० में शूद वर्ग में सम्मिलित किया गया।
  • महाभारत के सभा पर्व के अनुसार खस लोग महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे।
  • राजशेखर की काव्य मीमांशा के अनुसार उस समय मध्य हिमालय के कार्तिकेयपुर नगर में खसाधिपति का राज्य था।
  • घर जवाई प्रथा एवं पशुबलि प्रथा खसों में प्रचलित थी।
  • खसों की विधवा किसी भी पुरुष को अपने घर में रख सकती थी जिसे टिकुआ प्रथा कहा जाता था।
  • झटेला प्रथा खसों में व्याप्त थी, यदि कोई स्त्री किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करती है तो उससे पहले पति से उत्पन्न पुत्र को झटेला कहा जाता था।
  • खस लोग अपनी ज्येष्ठ पुत्री को मंदिरो में दान कर देते थे जिसे देवदासी प्रथा कहते थे।
  • गढ़वाल और कुमाऊँ में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार प्रसार खसों के समय हुआ।
Pura Species of Uttarakhand


 

भोटान्तिक या शौका प्रजाति

Pura Species of Uttarakhand


  • काली नदी घाटियों में रहने वाली भोटिया प्रजाति को शौका कहते है जो एक व्यापारिक प्रजाति थी।
  • 1962 ई० तक भोटिया लोग तिब्बत से व्यापार करते थे।
  • 1914 ई० में हुए तिब्बत व अंग्रेजों के बीच समझौते के आधार पर भोटिया जाति को तिब्बत से व्यापार करने की छूट प्राप्त हुयी।
  • भोटान्तिकों की अनेक उपजातियाँ थी जो इस प्रकार से है - गर्ब्याल, गुंजयाल, मर्तोलिया, टोलिया, पांगती, कुटियाल, दताल आदि।
  • भोटान्तिकों की उपजाति राठ और संगोत्र में विभक्त थी और राठ को भोटिया लोग विरादरी का सूचक मानते थे इसमें आने वाले परिवारों के बीच वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित नहीं होते थे।
  • रड़-बड़ प्रथा का प्रचलन दारमा व व्यास घाटी में रहने वाले भोटान्तिकों में है भोटिया लोग घूरमा देवता की पूजा वर्षा देवता के रूप में जबकि घबला देवता की पूजा सम्पति व्यापार के रूप में करते थे।
  • भोटान्तिकों के समूह को स्थानीय भाषा में कुंच कहा जाता है। 

Conclusion

इस लेख में मैंने आपको  Pura Species of Uttarakhand (कोल, किरात, खस, भोटान्तिक या शौका प्रजाति) आदि के बारे में जानकारी दी आशा है कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। आगे भी हमारे तमाम सभी लेखों में आपको उत्तराखंड की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी इसलिए आप हमसे जुड़े रहे। 

FAQ

Q उत्तराखंड में आने वाली प्रथम प्रजाति किसको माना जाता है ?

Ans उत्तराखंड में आने वाली प्रथम प्रजाति कोल को माना जाता है।

Q पुरा साहित्यिक ग्रंथों में कोल प्रजाति का वर्णन किस नाम से मिलता है ?

Ans पुरा साहित्यिक ग्रंथों में कोल प्रजाति का वर्णन मुण्ड या शबर नाम से मिलता है।

Q कोल के बाद उत्तराखंड में प्रजाति की आधिपत्य की जानकारी मिलती है ?

Ans कोल के बाद उत्तराखंड में किरातों के आधिपत्य की जानकारी मिलती है इन्हें किन्नर या कीर भी कहा जाता 

है।

Q किरात प्रजाति उत्तराखंड की कौन - सी जाति थी ?

Ans किरात प्रजाति उत्तराखंड राज्य की भ्रमणकारी पशु पालक व आखेटक जाति थी।

Q किसको किरातों को हिमालय क्षेत्र की प्राचीनतम जाति मानते है ?

Ans जॉर्ज ग्रियर्सन किरातों को हिमालय क्षेत्र की प्राचीनतम जाति मानते है।

Q किरातों के बाद उत्तराखंड में किस प्रजाति का उल्लेख मिलता है ?

Ans किरातों के बाद उत्तराखंड में खस प्रजाति का उल्लेख मिलता है और खसों को 1885 ई० में शूद वर्ग में 

सम्मिलित किया गया।

Q कौन - सी प्रजाति घर जवाई प्रथा एवं पशुबलि प्रथा के रूप में प्रचलित थी ?

Ans खस प्रजाति घर जवाई प्रथा एवं पशुबलि प्रथा खसों के रूप में प्रचलित थी।

Q गढ़वाल और कुमाऊँ में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार प्रसार किसके में समय हुआ ?

Ans गढ़वाल और कुमाऊँ में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार प्रसार खसों के समय हुआ।

Q किस प्रजाति को शौका कहते है ?

Ans काली नदी घाटियों में रहने वाली भोटिया प्रजाति को शौका कहते है जो एक व्यापारिक प्रजाति थी।

Q भोटान्तिकों की कौन - सी उपप्रजातियाँ थी ?

Ans भोटान्तिकों की अनेक उपजातियाँ थी जो इस प्रकार से है - गर्ब्याल, गुंजयाल, मर्तोलिया, टोलिया, पांगती, 

कुटियाल, दताल आदि।




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