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सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) - Indus Valley Civilization

हड़प्पा सभ्यता (Indus Valley Civilization)

भूमिका (Introduction):-

दोस्तों स्वागत है आपका Notes Career में। आज हम इस टॉपिक में हड़प्पा सभ्यता की सम्पूर्ण जानकारी कब इसकी खोज हुयी किसने हड़प्पा सभ्यता की खोज की आदि सभी के बारे में जानेंगे और साथ ही कुछ महत्व पूर्ण प्रश्नो के बारे में भी जानेंगे तो आइये चलो शुरू करते है आशा है यह आपके लिए महत्वपूर्ण और सहायक सिद्ध होगा।

Indus Valley Civilization
Indus Valley Civilization

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) : (Indus Valley Civilization) एक संपूर्ण जानकारी

हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है, विश्व की प्राचीनतम नगर सभ्यताओं में से एक थी। हड़प्पा सभ्यता (Indus Valley Civilization) प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप की एक महत्वपूर्ण और विकसित सभ्यता थी, जो लगभग 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक फली-फूली। यह सभ्यता मुख्य रूप से सिंधु नदी घाटी (आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत) में विकसित हुई थी। इसे सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसकी खोज सबसे पहले हड़प्पा नामक स्थान पर हुई थी। यह सभ्यता अपनी उन्नत शहरी योजना, सामाजिक व्यवस्था, और आर्थिक प्रगति के लिए प्रसिद्ध है।

हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की ? (Who Discover Indus Valley Civilization)

हड़प्पा सभ्यता की खोज एक क्रमिक प्रक्रिया थी, जिसमें कई लोगों और संस्थाओं ने योगदान दिया। हड़प्पा सभ्यता की खोज 19वीं शताब्दी में हुई थी, इसकी खोज का श्रेय मुख्य रूप से निम्नलिखित लोगों को जाता है:

चार्ल्स मैसन (Charles Masson): 

1826 में, ब्रिटिश यात्री और पुरातत्ववेत्ता चार्ल्स मैसन ने हड़प्पा स्थल की खोज की। उन्होंने इस जगह को एक प्राचीन सभ्यता के अवशेष के रूप में पहचाना, लेकिन उस समय इसका महत्व पूरी तरह से समझा नहीं जा सका।

अलेक्जेंडर कनिंघम (Alexander Cunningham):

1856 में, ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता अलेक्जेंडर कनिंघम ने हड़प्पा स्थल का पुनः अध्ययन किया। उन्होंने यहाँ से प्राप्त मोहरों और अन्य वस्तुओं को एकत्र किया, लेकिन उस समय इसे एक स्थानीय सभ्यता का हिस्सा माना गया।

दयाराम साहनी (Dayaram Sahni):

1921 में, भारतीय पुरातत्ववेत्ता दयाराम साहनी ने हड़प्पा स्थल की व्यापक खुदाई की। उन्होंने इस सभ्यता के अवशेषों को उजागर किया और इसे एक प्राचीन नगरीय सभ्यता के रूप में पहचाना। इसके बाद ही हड़प्पा सभ्यता को विश्व स्तर पर पहचान मिली।

राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerji):

1922 में, भारतीय पुरातत्ववेत्ता राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की। उन्होंने इस स्थल की खुदाई की और इसे हड़प्पा सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित किया।

सर जॉन मार्शल (Sir John Marshall):

1924 में, ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता सर जॉन मार्शल ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई का नेतृत्व किया। उन्होंने इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) का नाम दिया और इसे विश्व के सामने प्रस्तुत किया।

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार और प्रमुख स्थल:

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार आधुनिक पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों तक था। इसके प्रमुख शहर और स्थल निम्नलिखित हैं:

  • हड़प्पा (पाकिस्तान) – यह स्थल पंजाब प्रांत में स्थित है और इसी के नाम पर इस सभ्यता का नाम पड़ा।
  • मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान) – यह सिंध प्रांत में स्थित है और इसे "मृतकों का टीला" कहा जाता है।
  • धोलावीरा (गुजरात, भारत) – यह स्थल कच्छ के रण में स्थित है और अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है।
  • लोथल (गुजरात, भारत) – यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था।
  • कालीबंगा (राजस्थान, भारत) – यहाँ पर खेती के प्रमाण मिले हैं।
  • राखीगढ़ी (हरियाणा, भारत) – यह हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता है।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएँ:


1. शहरी योजना और वास्तुकला:

  • हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता इसकी उन्नत शहरी योजना थी। शहरों में सड़कें ग्रिड पैटर्न में बनी हुई थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • घर पक्की ईंटों से बने होते थे और अक्सर दो मंजिला होते थे। हर घर में नहाने की जगह और नालियाँ होती थीं।
  • सार्वजनिक स्नानागार (जैसे मोहनजोदड़ो में महान स्नानागार) और अन्न भंडारण की सुविधाएं थीं।
  • शहरों में जल निकासी की उत्कृष्ट व्यवस्था थी, जो इस सभ्यता की विकसित इंजीनियरिंग क्षमता को दर्शाती है।

2. अर्थव्यवस्था:

  • हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार और शिल्प पर आधारित थी।
  • वे गेहूं, जौ, कपास, और विभिन्न फलों की खेती करते थे। कपास की खेती सबसे पहले हड़प्पा सभ्यता में ही शुरू हुई थी।
  • व्यापार मेसोपोटामिया, ईरान और मध्य एशिया के साथ होता था। मोहरों और माप-तौल के उपकरणों से पता चलता है कि व्यापार व्यवस्थित था।
  • मोहरें (Seals) व्यापार और प्रशासनिक कार्यों में उपयोग की जाती थीं। इन पर जानवरों और लिपि के चित्र उकेरे होते थे।

3. लिपि और भाषा:

  • हड़प्पा सभ्यता की लिपि अभी तक पूरी तरह से पढ़ी नहीं जा सकी है। यह लिपि चित्रात्मक और प्रतीकात्मक है।
  • लिपि मुख्य रूप से मोहरों, मिट्टी के बर्तनों, और तांबे की पट्टियों पर पाई जाती है।
  • लिपि में लगभग 400 से 600 चिह्न हैं, जो दाएं से बाएं लिखे जाते थे।

4. धर्म और संस्कृति:

  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के धार्मिक विश्वासों के बारे में जानकारी मुख्य रूप से मूर्तियों और मोहरों से मिलती है।
  • पशुपति शिव (एक देवता जो योग की मुद्रा में बैठे हैं) और मातृदेवी की पूजा के प्रमाण मिले हैं।
  • पशु पूजा और वृक्ष पूजा के भी संकेत मिलते हैं। बैल, हाथी, और बाघ जैसे जानवरों को पवित्र माना जाता था।

5. कला और शिल्प:

  • हड़प्पा सभ्यता के लोग कुशल कारीगर थे। वे मिट्टी के बर्तन, धातु की मूर्तियाँ, और आभूषण बनाते थे।
  • मोहरों पर उकेरी गई चित्रकारी और मूर्तियाँ उनकी कलात्मक क्षमता को दर्शाती हैं।
  • नृत्य करती हुई लड़की की कांस्य मूर्ति और पशु मोहरें इस सभ्यता की कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

हड़प्पा सभ्यता का पतन:

हड़प्पा सभ्यता का पतन लगभग 1900 ईसा पूर्व में हुआ। इसके पतन के कारणों के बारे में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं:

  • जलवायु परिवर्तन और सूखा – सिंधु नदी के जलस्तर में कमी और मानसून की अनिश्चितता।
  • नदियों के मार्ग में परिवर्तन – सिंधु नदी के मार्ग में बदलाव से कृषि और जल आपूर्ति प्रभावित हुई।
  • आर्यों का आक्रमण – यह सिद्धांत विवादास्पद है, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि आर्यों के आगमन से इस सभ्यता का पतन हुआ।
  • आंतरिक विघटन – सामाजिक और आर्थिक गिरावट के कारण सभ्यता का पतन हुआ।

हड़प्पा सभ्यता का महत्व:

  • हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीनतम नगरीय सभ्यताओं में से एक है।
  • इसकी उन्नत शहरी योजना, जल प्रबंधन, और व्यापारिक नेटवर्क ने इसे एक महत्वपूर्ण सभ्यता बनाया।
  • यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

हड़प्पा सभ्यता के बारे में अभी भी बहुत कुछ शोध किया जा रहा है, और नई खोजों से इसके बारे में हमारी समझ और गहरी होती जा रही है। यह सभ्यता न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

निष्कर्ष (Conclusion):

हड़प्पा सभ्यता की खोज चार्ल्स मैसन, अलेक्जेंडर कनिंघम, दयाराम साहनी, राखालदास बनर्जी, और सर जॉन मार्शल जैसे पुरातत्ववेत्ताओं के सामूहिक प्रयासों का परिणाम थी। इन लोगों ने इस प्राचीन सभ्यता को दुनिया के सामने लाने में अहम भूमिका निभाई। आज हड़प्पा सभ्यता भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसकी खोज ने हमें अपने अतीत को समझने में मदद की है। हड़प्पा सभ्यता एक उन्नत नगर सभ्यता थी, जो अपने योजनाबद्ध नगर निर्माण, व्यापार, कला और धार्मिक मान्यताओं के लिए जानी जाती है। इसकी खोज ने भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालाँकि, इस सभ्यता का पतन कैसे हुआ, यह अब भी शोध का विषय बना हुआ है।



 






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