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लेव वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत - Lev Vygotsky Socio-Cultural Theory

लेव वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत - Lev Vygotsky Socio-Cultural Theory

भूमिका (Introduction):-

दोस्तों स्वागत है आपका Notes Career में। आज हम इस टॉपिक में बाल विकास के क्षेत्र में लेव वाइगोत्स्की के संज्ञानात्मक विकास और उनके सिद्धांतों के बारे में जानेंगे और साथ ही कुछ महत्व पूर्ण प्रश्नो के बारे में भी जानेंगे तो आइये चलो शुरू करते है आशा है यह आपके लिए महत्वपूर्ण और सहायक सिद्ध होगा।

Lev Vygotsky Socio-Cultural Theory

लेव वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत की व्याख्या:

लेव वाइगोत्स्की (Lev Vygotsky) एक प्रसिद्ध रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत (Sociocultural Theory) प्रस्तावित किया। लेव वाइगोत्स्की का मानना था कि बच्चे का विकास सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में होता है, और सीखने की प्रक्रिया में सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction) और सांस्कृतिक उपकरण (Cultural Tools) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेव वाइगोत्स्की के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया केवल व्यक्ति के भीतर होने वाली कोई स्वाभाविक क्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, भाषा और अन्य लोगों के साथ होने वाली अंतःक्रियाओं (interactions) से जुड़ी होती है। उनका मानना था कि बच्चे अपने आस-पास के लोगों से ज्ञान अर्जित करते हैं और धीरे-धीरे स्वतंत्र रूप से सोचने और समझने में सक्षम हो जाते हैं। उनके सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

सामाजिक अंतःक्रिया का महत्व (Importance of Social Interaction)

  • लेव वाइगोत्स्की के अनुसार, बच्चे सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से सीखते हैं।
  • बच्चे अपने आसपास के लोगों, जैसे माता-पिता, शिक्षकों और साथियों के साथ बातचीत करके नए ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हैं।
  • लेव वाइगोत्स्की का यह मत था कि बच्चे का मानसिक विकास एक सामाजिक प्रक्रिया है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक अनुभवों पर आधारित होती है। किसी भी नई जानकारी या कौशल को सीखने में सामाजिक वातावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • उदाहरण: एक शिक्षक बच्चे को गणित की समस्या हल करने में मदद करता है, और बच्चा उस प्रक्रिया को सीखकर स्वतंत्र रूप से समस्या हल करने लगता है। यदि कोई बच्चा अकेले कोई नया कार्य करने का प्रयास करता है, तो उसे कठिनाई हो सकती है, लेकिन जब वही कार्य वह किसी बड़े व्यक्ति या अनुभवी साथी की सहायता से करता है, तो वह तेजी से सीखता है।

समीपस्थ विकास का क्षेत्र (Zone of Proximal Development)

  • परिभाषा (Definition): समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD) वह क्षेत्र है जहां बच्चा अकेले तो कार्य नहीं कर सकता, लेकिन किसी अधिक ज्ञानी व्यक्ति (More Knowledgeable Other - MKO) की मदद से उसे कर सकता है। लेव वाइगोत्स्की ने समीपस्थ विकास क्षेत्र (ZPD) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो यह दर्शाता है कि एक बच्चा स्वयं किन कार्यों को कर सकता है और किन कार्यों को करने के लिए उसे मार्गदर्शन (Guidance) की आवश्यकता होती है। इस अवधारणा के तीन प्रमुख घटक हैं:
  • वर्तमान विकास स्तर: वह स्तर जहां बच्चा अपने दम पर किसी कार्य को करने में सक्षम होता है।
  • संभावित विकास स्तर: वह स्तर जहां बच्चा किसी कुशल मार्गदर्शक की सहायता से कठिन कार्य सीख सकता है।
  • ZPD (समीपस्थ विकास क्षेत्र): यह इन दोनों स्तरों के बीच का क्षेत्र है, जहां बच्चे को सीखने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत होती है। इसका अर्थ यह है कि बच्चे की क्षमता को पूरी तरह विकसित करने के लिए सही मार्गदर्शन और समर्थन आवश्यक है।
  • महत्व (Importance): ZPD बच्चे की वर्तमान क्षमता और संभावित क्षमता के बीच का अंतर है।
  • उदाहरण (Example): यदि एक बच्चा अकेले पहेली नहीं सुलझा सकता, लेकिन शिक्षक की मदद से सुलझा लेता है, तो यह उसका ZPD है।
  • शिक्षकों और अभिभावकों का काम बच्चे को उसके ZPD में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

अधिक ज्ञानी व्यक्ति (More Knowledgeable Other - MKO)

  • परिभाषा (Definition): MKO वह व्यक्ति होता है जो बच्चे से अधिक ज्ञान और कौशल रखता है और उसे सीखने में मदद करता है।
  • MKO कोई भी हो सकता है, जैसे माता-पिता, शिक्षक, साथी, या यहां तक कि कंप्यूटर या इंटरनेट भी।
  • उदाहरण (Example): एक शिक्षक बच्चे को पढ़ना सिखाता है, या एक बड़ा भाई-बहन छोटे बच्चे को खेलना सिखाता है।

सांस्कृतिक उपकरण (Cultural Tools)

  • परिभाषा (Definition): सांस्कृतिक उपकरण वे संसाधन हैं जो समाज और संस्कृति द्वारा प्रदान किए जाते हैं और बच्चे के सीखने में मदद करते हैं।
  • इनमें भाषा, लेखन, गणित, कला, और तकनीकी उपकरण शामिल हैं।
  • उदाहरण (Example): भाषा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उपकरण है, जो बच्चे को अपने विचारों को व्यक्त करने और दूसरों से संवाद करने में मदद करती है।

मंडलन (Scaffolding)

  • शिक्षण प्रक्रिया में मार्गदर्शन का विशेष महत्व है। जब कोई अनुभवी व्यक्ति (जैसे शिक्षक, माता-पिता या कोई अन्य अनुभवी व्यक्ति) बच्चे को सहायता प्रदान करता है, तो इसे Scaffolding कहा जाता है।
  • Scaffolding की प्रक्रिया में शिक्षक या मार्गदर्शक बच्चे को आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं और धीरे-धीरे यह सहायता कम कर दी जाती है, जब बच्चा स्वयं कार्य को करने में सक्षम हो जाता है।
  • परिभाषा (Definition): मंडलन एक शिक्षण प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक या MKO बच्चे को उसके ZPD में कार्य करने के लिए सहायता प्रदान करता है।
  • महत्व (Importance): मंडलन के माध्यम से बच्चे की क्षमता को बढ़ाया जाता है, और जैसे-जैसे बच्चा सीखता जाता है, सहायता को धीरे-धीरे हटा दिया जाता है।
  • उदाहरण (Example): एक शिक्षक बच्चे को पहेली सुलझाने में मदद करता है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा सीखता है, शिक्षक मदद कम कर देता है।

भाषा और चिंतन (Language and Thought)

  • लेव वाइगोत्स्की के अनुसार, भाषा और चिंतन (Thought) एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
  • लेव वाइगोत्स्की का मानना था कि भाषा और संज्ञानात्मक विकास एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। उनके अनुसार, भाषा के विकास के तीन चरण होते हैं:
  • सामाजिक भाषा (Social Speech): इस चरण में बच्चा दूसरों के साथ बातचीत करता है और उनके उत्तरों से सीखता है।
  • व्यक्तिगत भाषा (Private Speech): इसमें बच्चा खुद से बातें करता है, जैसे खेलते समय खुद से निर्देश देना। यह चरण आत्म-निर्देशन और समस्या समाधान में सहायक होता है।
  • आंतरिक भाषा (Inner Speech): यह अवस्था तब आती है जब बच्चा बिना जोर से बोले, मन ही मन सोचता और योजना बनाता है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, भाषा केवल एक संचार माध्यम नहीं है, बल्कि यह सोचने और सीखने की प्रक्रिया का एक अनिवार्य अंग है।

  • भाषा न केवल संचार का साधन है, बल्कि यह बच्चे के चिंतन और सीखने की प्रक्रिया को भी आकार देती है।
  • बच्चे पहले बाहरी भाषा (External Speech) का उपयोग करते हैं, फिर धीरे-धीरे आंतरिक भाषा (Internal Speech) का विकास करते हैं, जो उनके चिंतन का आधार बनती है।

सामाजिक संदर्भ में सीखना (Learning in Social Context)

  • लेव वाइगोत्स्की का मानना था कि सीखने की प्रक्रिया सामाजिक संदर्भ में होती है।
  • बच्चे अपने परिवार, समुदाय और संस्कृति के माध्यम से सीखते हैं।
  • उदाहरण (Example): एक बच्चा अपने परिवार से भाषा सीखता है, और अपने समुदाय से सामाजिक नियम और मूल्य सीखता है।

सहयोगात्मक शिक्षण (Collaborative Learning)

  • लेव वाइगोत्स्की ने सहयोगात्मक शिक्षण पर जोर दिया, जिसमें बच्चे एक-दूसरे के साथ मिलकर सीखते हैं।
  • लेव वाइगोत्स्की ने यह भी बताया कि बच्चे अकेले सीखने की बजाय दूसरों के साथ मिलकर अधिक प्रभावी रूप से सीखते हैं। जब बच्चे समूह में काम करते हैं, तो वे एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं और नई चीजें जल्दी सीखते हैं।
  • शिक्षा में सहयोगी अधिगम (Collaborative Learning) की अवधारणा इसी सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ छात्र आपसी चर्चा, बहस और समूह गतिविधियों के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से सीखते हैं।
  • इस प्रक्रिया में बच्चे अपने साथियों से ज्ञान साझा करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।
  • उदाहरण (Example): कक्षा में समूह चर्चा (Group Discussion) और प्रोजेक्ट वर्क (Project Work)

निष्कर्ष (Conclusion):

लेव वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत (Lev Vygotsky Socio-Cultural Theory) बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह सिद्धांत बताता है कि बच्चे सामाजिक अंतःक्रिया और सांस्कृतिक उपकरणों के माध्यम से सीखते हैं। शिक्षकों और अभिभावकों का काम बच्चे को उसके समीपस्थ विकास के क्षेत्र (ZPD) में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना और उसे सही मार्गदर्शन प्रदान करना है। इस सिद्धांत के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया में सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ का महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेव वाइगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि किसी भी बच्चे का संज्ञानात्मक विकास केवल उसकी जैविक विशेषताओं पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उसका सामाजिक परिवेश, भाषा, संस्कृति और मार्गदर्शन भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। समीपस्थ विकास क्षेत्र (ZPD), सांस्कृतिक उपकरणों का उपयोग, भाषा की भूमिका, और Scaffolding जैसी अवधारणाएँ इस सिद्धांत को व्यावहारिक रूप से प्रभावी बनाती हैं।



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