उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मंदिर
आज हम इस लेख में आपको Temple Fairs and Institutions of Uttarkashi (मंदिर, मेले, संस्थान और महत्वपूर्ण तथ्य) आदि के बारे में जानकारी देंगे।
- कुटेटी देवी का मंदिर उत्तरकाशी जनपद से 4 से 5 किमी की दूरी पर एरावत पर्वत पर स्थित है।
- परशुराम का मंदिर भैरव चौक गली उत्तरकाशी में स्थित है जिसके दायें अन्नपूर्णा देवी का मंदिर भी स्थित है।
- जयपुर मंदिर उत्तरकाशी के बस अड्डे के पास स्थित है यहाँ राजस्थान सरकार द्वारा संचालित जयपुर आश्रम है।
- कंडार देवता का मंदिर भी उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।
- कल्पकेदार मंदिर गंगोत्री मार्ग पर 240 मंदिर समूह में से एकमात्र मंदिर बचा हुआ है।
- कर्ण देवता का मंदिर मोरी नैटवार क्षेत्र में स्थित है।
- दुर्योधन का मंदिर रंवाई उत्तरकाशी में स्थित है।
- शनिदेव का मंदिर यमनोत्री के खरसाली में स्थित है।
- मंजियाली का सूर्य मंदिर कमल नदी के तट पर स्थित है, यह मंदिर पुष्पक शैली का बना हुआ है।
- बालखिला पर्वत पर स्थित नागणी माता का मंदिर उत्तरकाशी में है।
- लक्षेश्वर महादेव का मंदिर उत्तरकाशी में भागीरथी तट पर स्थित है।
- रिंगाली देवी मंदिर उत्तरकाशी के डुंडा में स्थित है और यह जाड भोटिया से सम्बंधित है।
- काचड़ू देवता का मंदिर डुण्डा उत्तरकाशी में स्थित है।
पोखू देवता का मंदिर
- मोरी विकासखंड के नैटवाड़ गांव में पोखू देवता का मंदिर स्थित है पोखू देवता मंदिर में देवता दर्शन करना वर्जित है, मंदिर के पुजारी भी पीठ करके देवता की पूजा करते है।
- पोखू देवता को कर्ण का प्रतिनिधि एवं भगवान शिव का सेवक और न्याय का देवता कहा जाता है।
विश्वानाथ मंदिर
- विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी में कत्यूरी शैली में बना हुआ है।
- विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार 1857 ई० में सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी खनेती ने किया था।
- विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने शक्ति मंदिर में लगभग 6 मी० ऊँचाई का एक विशाल त्रिशूल है।
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले
- सेल्कू उत्सव उत्तरकाशी के मुखवा, सुखी - झाला आदि स्थानों में लगता है, जो भागीरथी घाटी का प्रसिद्ध उत्सव है।
- ठर पूजा उत्सव दीपावली के अवसर पर उत्तरकाशी में मनाया जाता है।
- बिस्सू मेला उत्तरकाशी के टीकोची, किरोली, भुटाणु आदि गाँवों में लगता है। विषुवत संक्रांति के दिन लगने के कारण इसे बिस्सू मेला कहा जाता है।
- बिस्सू मेला धनुष बाण के रोमाँचकारी युद्ध के लिए प्रसिद्ध है इस मेले में होने वाले क्रीड़ा युद्ध को स्थानीय भाषा में ठोटा खेलना कहते है और इस क्रीड़ा युद्ध में भाग लेने वाले कौतिक्यारें ठोटारी कहलाते है।
- देहरादून में चकराता तहसील के खुरुड़ी एवं जौनसार भाबर क्षेत्र में भी बिस्सू मेला हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।
- लोसर मेला डुण्डा उत्तरकाशी में जाड़ भोटिया से सम्बंधित है।
- डांडा देवराणा मेला नौगांव में रुद्रेश्वर महादेव का मेला है।
- बौखनाग मेला रंवाई क्षेत्र में होता है।
- अठोड़ मेला उत्तरकाशी के नौगाँव में प्रति तीसरे वर्ष होता है, यह मेला मुख्यतः पशुपालन से जुड़ा हुआ है।
- उत्तरकाशी में प्रति वर्ष वारुणी पंचकोसी यात्रा भागीरथी व वरुणा (स्यामल गाड) के संगम पर स्नान करने के बाद शुरू होती है यात्री गंगाजल लेकर वरुणावत पर्वत की ओर चलते है वारुणी पंचकोसी यात्रा 15 किमी की पैदल यात्रा है। (VDO 21)
- हारदूध का मेला गंगोत्री मंदिर के पुजारियों के मुखवा गाँव में लगता है। यह मेला मुख्य रूप से नाग देवता से सम्बंधित है।
- कण्डक मेला और नागराज देवता मेला उत्तरकाशी जनपद में लगता है।
- पुरोला के रामासिंराई में कमलेश्वर महादेव का मेला लगता है।
- खरसाली का मेला यमनोत्री में लगता है, जहाँ सोमेश्वर देवालय स्थित है।
समेश्वर मेला
- समेश्वर मेला उत्तरकाशी की विशेषता पेड़ पर तीर चलाना व पश्वा का कुल्हाड़ी पर नंगे पैर चलना है।
- समेश्वर को दुर्योधन का अवतार माना गया है।
- समेश्वर देवता रवांई घाटी से उपरिकोट मानुष रूप में आया था।
- समेश्वर या सोमेश्वर की पूजा मोरी ब्लॉक में भी होती है।
गेंदुवा मेला
- गेंदुवा मेला उत्तरकाशी पुरोला के देवरा ग्राम नैटवाड़ क्षेत्र में लगता है।
- गेंदुवा के खेल में सिंगतुर पट्टी के गाँव दो धड़ो में बँट जाते है। यह मेला मकर संक्रांति के अवसर पर लगता है।
- एक धड़ा पानसाई जो पांडवो का प्रतिनिधित्व करता है।
- दूसरा धड़ा साठी जो कौरवों का प्रतिनिधित्व करते है।
माघ मेला (बाड़ाहाट का थौल)
- माघ मेला (बाड़ाहाट का थौल) प्रतिवर्ष 14 जनवरी को लगता है।
- उत्तरकाशी में माघ मेला 7 - 8 दिनों का आजाद मैदान में लगता है।
- माघ मेले का शुभारम्भ हरि महाराज का ढ़ोल एवं कण्डार देवता की डोली के साथ होता है।
दशगी घाटी का मौणा मेला
- उत्तरकाशी जिले के यमनोत्री विधानसभा क्षेत्र के दशगी पट्टी में मछी मौणा मेले का आयोजन होता है प्राचीन समय में यह मेला प्रत्येक 3 वर्ष के बाद होता था।
- मछी मौणा मेला छैजुला गाड़ एवं बनगांव गाड़ के संगम पर होता है जो बाद में भागीरथी नदी में मिल जाती है।
- दशगी घाटी में सिद्धेश्वर महादेव का तीन मंजिला मंदिर नागर शैली में बना हुआ है।
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख संस्थान
- हिमालयन संग्राहलय उत्तरकाशी के नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटनीरिंग (NIM) में स्थित है।
- तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्थान डुण्डा उत्तरकाशी में स्थित है।
- हिमालयन पर्यावरण शिक्षा संस्थान टिहरी व उत्तरकाशी जिले में 1995 से जैव विविधता संरक्षण का कार्य कर रही है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान
- नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना 14 नवंबर 1965 में हुयी थी इसके पहले प्रधानाचार्य ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह थे।
- नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल राज्य भर में यूथ फाउंडेशन नाम से एक निःशुल्क भर्ती प्रशिक्षण शिविर चला रहे है।
- आज NIM उत्तरकाशी का पिकनिक स्पॉट बना हुआ है।
उत्तरकाशी जिले से सम्बंधित तथ्य
- टकनौर पट्टी और बाड़ागढ़ी पट्टी उत्तरकाशी जनपद में है।
- मुंगरा गढ़ व सांकरी गढ़ रंवाई क्षेत्र में था।
- तांबाखाणी सुरंग उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत पर स्थित है।
- लंका नामक स्थान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।
- 8 दिसंबर 2012 को उत्तरकाशी से गोमुख तक के क्षेत्र को इको सेंसटिव जॉन घोषित किया गया है।
- गिलगिट ऑफ़ उत्तराखंड आराकोट को कहा जाता है। (Note : आराकोट नामक स्थान उत्तरकाशी में जबकि अस्कोट नामक स्थान पिथौरागढ़ में स्थित है।)
- एशिया का सबसे ऊँचा चीड़ का वृक्ष उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक में स्थित था, जो 2007 में टूट गया था।
- मणिकार्णिका घाट उत्तरकाशी में पितृ पिण्डदान होता है।
- गंगोत्री से 6 मील नीचे जहनु ऋषि का आश्रम है इसे लोग जांगला कहते है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस लेख में मैंने आपको Temple Fairs and Institutions of Uttarkashi (मंदिर, मेले, संस्थान और महत्वपूर्ण तथ्य) आदि के बारे में जानकारी दी आशा है कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। आगे भी हमारे तमाम सभी लेखों में आपको उत्तराखंड की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी इसलिए आप हमसे जुड़े रहे।
FAQ
Q समेश्वर या सोमेश्वर की पूजा किस ब्लॉक में भी होती है ?
Ans समेश्वर या सोमेश्वर की पूजा मोरी ब्लॉक में भी होती है।
Q लोसर मेला डुण्डा उत्तरकाशी में किस से सम्बंधित है ?
Ans लोसर मेला डुण्डा उत्तरकाशी में जाड़ भोटिया से सम्बंधित है।
Q ठर पूजा उत्सव दीपावली के अवसर पर कहाँ मनाया जाता है ?
Ans ठर पूजा उत्सव दीपावली के अवसर पर उत्तरकाशी में मनाया जाता है।
Q कण्डक मेला और नागराज देवता मेला किस जनपद में लगता है ?
Ans कण्डक मेला और नागराज देवता मेला उत्तरकाशी जनपद में लगता है।
Q समेश्वर को किस का अवतार माना गया है ?
Ans समेश्वर को दुर्योधन का अवतार माना गया है।
Q गेंदुवा मेला उत्तरकाशी पुरोला के किस क्षेत्र में लगता है ?
Ans गेंदुवा मेला उत्तरकाशी पुरोला के देवरा ग्राम नैटवाड़ क्षेत्र में लगता है।
Q माघ मेला (बाड़ाहाट का थौल) प्रतिवर्ष कब लगता है ?
Ans माघ मेला (बाड़ाहाट का थौल) प्रतिवर्ष 14 जनवरी को लगता है।
Q दशगी घाटी में सिद्धेश्वर महादेव का तीन मंजिला मंदिर किस शैली में बना हुआ है ?
Ans दशगी घाटी में सिद्धेश्वर महादेव का तीन मंजिला मंदिर नागर शैली में बना हुआ है।
Q तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्थान कहाँ स्थित है ?
Ans तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्थान डुण्डा उत्तरकाशी में स्थित है।
Q नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना कब हुयी थी और इसके पहले प्रधानाचार्य कौन थे ?
Ans नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना 14 नवंबर 1965 में हुयी थी इसके पहले प्रधानाचार्य ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह थे।
Q टकनौर पट्टी और बाड़ागढ़ी पट्टी किस जनपद में है ?
Ans टकनौर पट्टी और बाड़ागढ़ी पट्टी उत्तरकाशी जनपद में है।
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